छात्रें एवं अध्यापकों की व्याकरण संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के उद्देश्य से हमने यह निर्णय लिया कि कक्षा- VI VII तथा VIII के लिए तीन अलग-अलग पुस्तकें तैयार की जाएँ, जिनमें परस्पर क्रमबद्धता हो और छात्र लाभान्वित हो सकें। ‘गुलमोहर हिदी व्याकरण’ नामक शृंखला की इन तीनों पुस्तकों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि व्याकरणिक संकल्पनाओं को स्तरानुकूल क्रमशः सरल से कठिन की ओर ले जाया जाए।
इस शृंखला में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि विचारों की क्रमबद्धता बनी रहे तथा इसके तीनों पुस्तकों में शब्द-भंडार आदि में पुनरावृत्ति ((repetition)) नहीं हुई हो। इसके अतिरिक्त छात्रें की उपयोगिता को ध्यान में रखकर इन पुस्तकों में कुछ ऐसे अध्याय भी जोड़े गए हैं, जो छात्रें के लिए अत्यंत उपयोगी हैं तथा माध्यमिक स्तर के छात्रें के लिए अवांछित अध्यायों को पुस्तक में स्थान नहीं दिया गया है। उदाहरण के लिए, ‘वर्ण-विच्छेद’ छात्रें के लिए बहुत ही उपयोगी विषय है, अतः तीनों स्तर पर इस विषय को अलग अध्याय के रूप में समाहित किया गया है।
माध्यमिक स्तर पर भाषा के साथ-साथ छात्रें को साहित्य भी पढ़ाया जाता है। कक्षा- VII तक आते-आते यह अपेक्षा की जाती है कि छात्रें को अलंकारों का भी संक्षिप्त ज्ञान हो जाए, अतः कक्षा- VII में ‘अलंकारों’ की भी सामान्य जानकारी दी गई है,जो कम ही पुस्तकों में देखने को मिलती है। पाठ्यपुस्तक के अंत में छात्रें के अभ्यास-कार्य हेतु हमने प्रत्येक अध्याय के लिए पुनरावृत्ति कार्यपत्र दिया है, जिससे उन्हें पाठों के मनन, स्मरण एवं परीक्षा के दृष्टिकोण से अपनी क्षमता के आकलन में मदद मिलेगी। हमें पूरा विश्वास है कि ‘गुलमोहर हिदी व्याकरण’ की इस सीरीज को छात्रें, अध्यापकों तथा अन्य बुद्धिजीवियों की प्रशंसा एवं सराहना मिलेगी तथा इस शृंखला की तीनों पुस्तकें व्याकरण के क्षेत्र में पाठकों के लिए मार्गदर्शक साबित होगी