पठन-पाठन एक विस्तृत एवं गतिशील प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के प्रथम चरण के अंतर्गत विद्यार्थियों में अंतर्निहित,जन्मजात शक्तियों को जागृत किया जाता है,तत्पश्चात दूसरे चरण में इन शक्तियों की सहभागिता राष्ट्र एवं समाज के सर्वांगीण विकास में सुनिश्चित की जाती है। इन्हीं दोनों बुनियादी सिद्धांतों को ध्यान में रखकर गुलमोहर हिदी पाठ्यपुस्तक का निर्माण किया गया है।
प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक शृंखला के प्रारंभिक चरण यानी कक्षा-1 एवं 2 की पुस्तकों में उपलब्ध विषय ‘सीखने के लिए’ पढ़ने के सिद्धांत पर आधारित हैं, जबकि कक्षा 3 से 5 तक की पुस्तकें ‘पढ़कर सीखने’ के सिद्धांत को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। इसी प्रामाणिक सिद्धांत को आधार मानकर पुस्तकों में भाषा के साथ-साथ विभिन्न भावों को परिपुष्ट एवं समृद्ध करने हेतु साहित्य की विभिन्न विधाओं-चित्रकथा, कविता, नाटक, एकांकी, हास्यकथा, लेख, निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण तथा पत्र आदि को सम्मिलित किया गया है। शिक्षा विशेषज्ञों एवं नवीनतम पाठ्यक्रम के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इस शृंखला की सभी पुस्तकों में पाठों की संख्या को सीमित रखा गया है।
गुलमोहर हिदी पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ:-
(1) पाठों का चयन विद्यार्थियों की रुचियों एवं भाषिक योग्यताओं के अनुरूप।
(2) पढ़ने की तैयारी शीर्षक के अंतर्गत ‘पूर्व-ज्ञान परीक्षा’हेतु प्रश्न।
(3) योगात्मक (परीक्षा के लिए) एवं निर्माणात्मक (सीखने के लिए) प्रश्नों का समावेश।
(4) मौखिक, बहुविकल्पीय, लघु एवं दीर्घ प्रश्नों में भावगत विविधता।
(5) व्याकरण के व्यावहारिक पक्ष पर बल।
(6) वषयवस्तु में विविधता एवं आधुनिकता का समावेश।
(7) भाषा के चारों कौशलों सहित विद्यार्थियों की कल्पनाशीलता एवं रचनात्मकता पर बल।
(8) विषय संवर्धन गतिविधियों के माध्यम से व्यक्तित्व निर्माण पर बल।
(9) घेरा समय के अंतर्गत पाठ से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा